Bihar Election 2020 : पहले चरण के मतदान का रुझान, बिहार में अबकी बार किसकी सरकार



Bihar Election 2020 बिहार विधानसभा के पहले चरण के मतदान ने सत्ता में बैठे और उसे हटाने के लिए आतुर दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि 50 फीसदी से कुछ अधिक मतदान का वे क्या मतलब निकालें।


पटना , अरुण अशेष । Bihar Election 2020 : वोटों से भरी इवीएम मशीनें सबको दिलासा देती हैं। सभी दल जीत का दावा करते हैं। कई चरणों में होने वाले चुनाव का यह रिवाज भी है। ताकि कार्यकर्ताओं-समर्थकों का मनोबल कायम रह सके। लेकिन, बिहार विधानसभा के पहले चरण के मतदान ने सत्ता में बैठे और उसे हटाने के लिए आतुर दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि 50 फीसदी से कुछ अधिक मतदान का वे क्या मतलब निकालें। मतदान का प्रतिशत अधिक होता है तो उसे सत्ता विरोधी रूझान मान लिया जाता है। अगर कम होता है तो माना यही जाता है कि मतदाता यथास्थिति के पक्ष में हैं। पहले चरण का मतदान न अधिक है न कम। यही सत्ता की दौड़ में शामिल दलों के लिए चिंता का विषय है।

रोजगार मुद्दा बना मगर बेरोजगार मतदान के लिए टूट नहीं पड़े

कोरोना काल में पहला मतदान हुआ है। आशंका थी कि बहुत कम लोग मतदान में हिस्सा लेंगे। बुजुर्गों के मामले में बहुत हद तक यह सच भी साबित हुआ। युवाओं और महिलाओं के मन में शायद कोरोना का डर कम था। दोनों समूह ने मतदान में दिलचस्पी दिखाई। फिर भी यह उम्मीद से कम थी। क्योंकि सत्ता और विरोधी दलों ने इन समूहों के लिए कई घोषणाएं की हैं। रोजगार को केंद्रीय चुनावी मुददा बन गया है। महागठबंधन ने 10 लाख सरकारी नौकरी और भाजपा ने 19 लाख रोजगार का वादा किया है। जदयू ने सरकारी रिक्तियों को प्राथमिकता के स्तर पर भरने का भरोसा किया है। कांग्रेस ने अलग से साढ़े तीन लाख लोगों को काम देने का वचन दिया है। जन अधिकार पार्टी ने तीन साल के भीतर बिहार को देश नहीं, एशिया का सबसे विकसित राज्य बनाने की घोषणा की है। कुल मिलाकर बेरोजगारी के इस माहौल में रोजगार के इतने ऑफर दिए गए हैं कि बेरोजगारों को मतदान के लिए टूट पडऩा चाहिए। ऐसा नहीं हुआ।


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